मानवीय करुणा की दिव्य चमक के प्रश्न उत्तर | manviya karuna ki divya chamak questions and answers
प्रश्न और उत्तर :-
प्रश्न 1:- फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
उत्तर :-
फादर बुल्के की व्यक्तित्व देवदार के वृक्ष के समान विशाल था, वे सभी पर अपना व्यत्सल्य लुटाते थे,उनकी कृपा की छाया उनकी शरण में आने वाले हर व्यक्ति पर छाई रहती थी,अपनी आशीष से लोगों को भर देते थे,वे पारिवारिक उत्सवों एवं साहित्यिक गोष्ठियों में शामिल होकर पुरोहित जैसे प्रतीत होते थे,उनकी छाया सुखद होती थी यही कारण है कि उनकी उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी.
प्रश्न 2:- फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग है किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
उत्तर :-
फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं वे भारतीय संस्कृति के गहरे रूचि लेते थे, भारतीय संस्कृति से प्रभावित होकर वे भारत में चले आए थे यहीं उन्होंने कोलकाता और इलाहाबाद में रहकर पढ़ाई किए, वे भारतीय संस्कृति के प्रतीक श्री रामचंद्र एवं तुलसीदास के अनन्य भक्त थे उनका जीवन भारतीय संस्कृति के मूल्यों के अनुरूप था उन्होंने हिंदी से लगाव था, उन्हें भारतीय संस्कृति के सभी बाते प्रिय थे.
प्रश्न 3:- पाठ के आये उन प्रसंगों का उल्लेख करें जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
उत्तर :-
निम्नलिखित प्रशंगो से फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है :
(क ):- फादर बुल्के ने हिंदी में एम. ए किया.
(ख ):- प्रयाग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में रहकर 1950 में अपना शोध प्रबंध हिंदी में पूरा किया विषय था.
(ग ):- ब्लू वर्ल्ड का हिंदी रूपांतर " नीलपंछी "नाम से किया.
(घ ) अंग्रेजी हिंदी शब्द कोष तैयार किया
(ड़ ) बाइबल का हिंदी अनुवाद किया.
(च ) हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जोरदार पैरवी की
प्रश्न 4:- इस पाठ के आधार पर फादर बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में बताएं.
उत्तर :-
फादर कामिल बुल्के एक आत्मीय सन्यासी थे वे ईसाई पादरी थे इसीलिए हमेशा एक सफेद कपडे धारण करते थे,उनका रंग गोरा था चेहरे पर सफेद झलक दिखाई देती हुई भरी दाढ़ी थी,आंखें नीली थी. बाहे हमेशा गले लगाने को आतुर दिखती थी. उनके मन में अपने परिजनों और परिचितों के प्रति असीम स्नेह था. वे सबको स्नेह, सांत्वना, सहारा और करुणा करुणा देने में समर्थ थे.
प्रश्न 5:- लेखक ने फादर बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक क्यों कहा है?
उत्तर :-
लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक कहां है फादर के मन में सब परिचितों के प्रति सद्भावना और ममता थी, वे सबके प्रति वात्सल्य भाव रखते थे, वे तरल ह्रदय के थे,वे कभी किसी से कुछ चाहते नहीं थे बल्कि दूसरे को मदद करते थे, वे हर दुख में साथी प्रतीत होते थे और सुख में बड़े बुजुर्ग की भांति व्यवहार करते थे, लेखक की पुत्र के मुँह में पहला अन भी डाला और उनकी मृत्यु पर सांत्वना भी दी, वास्तव में उनका ह्रदय सदा दूसरे के स्नेह में पिघलता रहता था उस तरलता की चमक उनके चेहरे पर साफ दिखाई देती थी.
प्रश्न 6:- नम आंखों को गिनना स्याही फैलाना है स्पष्ट करें
उत्तर :-
फादर बुल्के की मृत्यु पर रोने वाले की कोई कमी नहीं थी उनके जाने पर अनेक लोगों की आंखों में आंसू थे उन लोगों की गिनती करना उचित ना होगा, क्योंकि उसके दुख और भी बढ़ जाएगा.
प्रश्न 7:- फादर को याद करना एक उददास शांति संगीत को सुनने जैसा है और स्पष्ट करें|
उत्तर :-
फादर बुल्के की मृत्यु के बाद याद करना है ऐसा ही अनुभव है मानो हम उदास संगीत सुन रहे हो, उनका स्मरण हमें उदास कर देता है इस उददासी में भी उनकी याद शांति संगीत की तरह गूंजती रहती है.
प्रश्न 8:-मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :-
इस पाठ से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए विश्व में सभी मनुष्य बराबर है,सभी के साथ करुणापूर्ण व्यवहार करो अपनी भाषा पर गर्व करना सीखो दूसरे के सुख दुख में साथी बनो,मानवीय करुणा सर्वोपरि है.
प्रश्न 9:- फादर कामिल बुल्के का जीवन किसलिए अनुकरणीय माना जा सकता है?
उत्तर :-
फादर कामिल बुल्के का जीवन अनुकरणीय था, वह सच्चे इंसान थे, उनके निर्दोष, निर्विकार आत्म थी, वे बड़े करुणापूर्ण, स्नेह सहयोगी और आत्मीय थे
वे अपने संपर्क में आने वाले को जल्दी अपना बना लेते थे, उनमे अपने पराए का छोटा मनोभाव नहीं था, वे उच्च छायादार पेड़ थे, उनके शब्दों में शांति झारती थी, वे सबके दिल जितना जानते थे.